माँ तुम सबसे खूबसूरत हो
तुम्हें क्या पता माँ
तुम कितनी खूबसूरत हो
रम्भा, उर्वशी ,मेनका, होगी
स्वर्ग लोक की अप्सराएँ।
पर तुम मेरी नज़र से देखो माँ
तुम इस जन्नत की सबसे
सुन्दर नूर हो।
रब ने नवाजा जिसके रग-रग
में ममता
इस धरती की सबसे बड़ी
खूबसूरत रचना हो तुम माँ।
मेरी नजरो से देखो तुम
कितनी खूबसूरत हो माँ।
मेरी पलकों का ख्वाब है तू माँ
फूलों जैसी सुन्दर हो तुम माँ
गाती भले ही कोयल मीठा है
पर तेरी लोरी में जो मिठास है
वह कोयल की बोली में भी कहाँ माँ
ईश्वर होंगे इस जहाँ में कहीं
पर मेरे लिए तो तुम ही ईश्वर
की मूरत हो माँ।
मेरी नजरो से देखो तुम
कितनी खूबसूरत हो माँ।
चाँद बिना चकोर नहीं माँ
जल बिना नही मीन
धनुष नहीं बिन तीर के
उसी तरह तेरे बिना मेरा
कोई अस्तित्व नही माँ
जीने के लिए धड़कन की
जैसे जरूरत पड़ती माँ
उसी तरह हर बच्चे के लिए
तेरी जरूरत है माँ
मेरी नजरो से देखो तुम
कितनी खूबसूरत हो माँ।
मेरे लिए जाड़े की तुम
गर्म धूप हो माँ
मेरे लिए तुम गर्मी की
शीतल छाया हो माँ
प्यार जिसके रग रग में
बसा हो
मेरे लिए तुम वह निर्मल
काया हो माँ
अपने बच्चे को हर विपदा
से बचाएँ
तुम वह साया हो माँ
मेरी नजरो से देखो तुम
कितनी खूबसूरत हो माँ।
लोग क्या समझते है तुझे
मुझे पता नही है माँ
मेरी नजरो से देखो तुम
इस दुनियाँ की सबसे
खूबसूरत मूरत हो माँ
तेरे रूप अनुपम ऐसा
जिसके वर्णन के लिए
हर शब्द छोटा पड़ जाए
ईश्वर जैसे शिल्पकार की
तराशी हुई
सबसे सुन्दर मूरत हो माँ
मेरी नजरो से देखो तुम
कितनी खूबसूरत हो माँ।
~अनामिका