माँ तुझे नमन
तू स्पर्श है
तू जीवन है
इस संसार में मेरे
अस्तित्व का अहसास है तू
तू कुसुम है
तू सुगंध है
आदि-अंत जग हो सुरभित
वह महकती सुवास है तू
तू जन्म है
तू भगवन् है
मेरे इस तुच्छ जीवन को
जीने की इक मीठी आस है तू
तू पवन है
तू मलय है
जो श्वासों को दे स्पंदन
वह संजीवनी उच्छवास है तू
तू है सृष्टि
तुझ से दृष्टि
निज से परिचय तूने कराया
इस विश्व का विश्वास है तू
तेरी कोख
मेरा निवास
तेरे होने से ही हूँ मैं
मेरे अस्तित्व का भास है तू
तू मेरा क्षण-क्षण
तू मेरा प्रति पल
प्रादुर्भाव से अंत तक
मेरे जीवन का विकास है तू
मैं मैं हूँ तुझसे
साक्षी तू मेरे वजूद की
मैं मौजूद हूँ इस जगत में
इस बात का आभास है तू।
तू शुचि गंगा जल
तेरी ममता निर्मल
संतति को दे स्नेह प्रभा
माँ वो प्रदीप्त उजास है तू
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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