माँ – जीवन का आधार
एक महान मूरत है माँ,
भगवान का जीवंत रूप है माँ,
निराधार है ये मेरा जीवन
अपने हाथों से तिनका तिनका पिरो कर
आधार बनाती है माँ
दुखों के अंधकार में,
सूरज की रौशनी सी है माँ,
बहुत उलजनों से भरी है ज़िंदगी
सब उलजनों को सुलझाती जा रही है माँ,
जीवन कठिन है
डटकर सामना करना सिखलाती है माँ
एक महान मूरत है माँ,
भगवान का जीवंत रूप है माँ,
गुरु विरक
सिरसा (हरियाणा)