Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2021 · 2 min read

माँ की गाथा अनुपम

एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए ।
पिता, मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 90% अंक मिले हैं ..!

माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बोली, “..मुझे भी बताइये, देखती हूँ…!

इसी बीच लड़का फटाक से बोला…
“बाबा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?… क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है …!”

अश्रुपुर्ण आँखों से पल्लु से पूछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई ।

ये बात मेरे पिता ने तुरंत देखा …! फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा, और कहा… “हां रे ! वो भी सच है…!

जब हमारी शादी हुई तो तीन महीने के अंदर ही तुम्हारी माँ गर्भवती हो गई.. मैंने सोचा, शादी के बाद कहीं घुमने नही गए.. एक दूसरे को ठीक से हम समझे भी नही हैं, चलो इस बार अबॉर्शन करवा कर आगे चांस लेते हैं.. लेकिन तुम्हारी माँ ने ज़ोर देकर कहा “नहीं” बाद में चाँस नही…. घूमना फिरना, और आपस में समझना भी नही, फिर तेरा जन्म हुआ…..
वो अनपढ़ थी ना….!

जब तु गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था, उसने आपको स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया …
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना …

तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना रहता था, इसलिए उसे सुबह पांच बजे उठकर तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और डिब्बा बनाती थी…..
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना …

जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व किताब बस्ते में भरकर, फिर तुम्हारे शरीर पर ओढ़ना से ढँक देती थी और उसके बाद ही सोती थी…
क्योकि अनपढ़ थी ना …

बचपन में तुम ज्यादातर समय बीमार रहते थे… तब वो रात- रात भर जागकर वापस जल्दी उठती थी और सुबह का काम पर लग जाती थी….
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना…

तुम्हें, ब्रांडेड कपड़े लाने के लिये मेरे पीछे पड़ती थी, और खुद सालों तक एक ही साड़ी पर रहती थी ।
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना….

बेटा …. पढ़े-लिखे लोग पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं.. लेकिन आपकी माँ ने आज तक कभी नहीं देखा।
क्योंकि अशिक्षित है ना वो…

वो खाना बनाकर और हमें परोसकर, कभी-कभी खुद खाना भूल जाती थी… इसलिए मैं गर्व से कहता हूं कि ‘तुम्हारी माँ अशिक्षित है…’

यह सब सुनकर लड़का रोते रोते, और लिपटकर अपनी माँ से बोलता है.. “माँ, मुझे तो कागज पर 90% अंक ही मिले हैं। लेकिन आप मेरे जीवन को 100% बनाने वाली आप पहली शिक्षक हैं।
माँ, मुझे आज 90% अंक मिले हैं, फिर भी मैं अशिक्षित हूँ और आपके पास पीएचडी के ऊपर भी उच्च डिग्री है। क्योंकि आज मैं अपनी माँ के अंदर छुपे रूप में, मैं डॉक्टर, शिक्षक, वकील, ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक, इन सभी के दर्शन ले लिये !

ज्ञानबोध: …. प्रत्येक लड़का-लड़की जो अपने माता-पिता का अपमान करते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं, छोटे- मोटे कारणों के लिए क्रोधित होते हैं। उन्हें सोचना चाहिए, उनके लिए क्या-क्या कष्ट सहा है, उनके माता पिता ने … ??

Language: Hindi
392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
ruby kumari
खता कीजिए
खता कीजिए
surenderpal vaidya
मन बैठ मेरे पास पल भर,शांति से विश्राम कर
मन बैठ मेरे पास पल भर,शांति से विश्राम कर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
-अपनी कैसे चलातें
-अपनी कैसे चलातें
Seema gupta,Alwar
माफी
माफी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पिता है तो लगता परिवार है
पिता है तो लगता परिवार है
Ram Krishan Rastogi
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
Rj Anand Prajapati
रमेशराज की एक हज़ल
रमेशराज की एक हज़ल
कवि रमेशराज
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
पूर्वार्थ
अब तू किसे दोष देती है
अब तू किसे दोष देती है
gurudeenverma198
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
Sanjay ' शून्य'
याद आया मुझको बचपन मेरा....
याद आया मुझको बचपन मेरा....
Harminder Kaur
हमारी तुम्हारी मुलाकात
हमारी तुम्हारी मुलाकात
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
फितरत के रंग
फितरत के रंग
प्रदीप कुमार गुप्ता
कभी गिरने नहीं देती
कभी गिरने नहीं देती
shabina. Naaz
चन्द्र की सतह पर उतरा चन्द्रयान
चन्द्र की सतह पर उतरा चन्द्रयान
नूरफातिमा खातून नूरी
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
"तुम इंसान हो"
Dr. Kishan tandon kranti
*फेसबुक पर स्वर्गीय श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी से संपर्क*
*फेसबुक पर स्वर्गीय श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी से संपर्क*
Ravi Prakash
3246.*पूर्णिका*
3246.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
श्याम सिंह बिष्ट
भगतसिंह
भगतसिंह
Shekhar Chandra Mitra
बच्चों के साथ बच्चा बन जाना,
बच्चों के साथ बच्चा बन जाना,
लक्ष्मी सिंह
वो आये और देख कर जाने लगे
वो आये और देख कर जाने लगे
Surinder blackpen
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
ख़्वाब ख़्वाब ही रह गया,
अजहर अली (An Explorer of Life)
कुतूहल आणि जिज्ञासा
कुतूहल आणि जिज्ञासा
Shyam Sundar Subramanian
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप
छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप
Sarfaraz Ahmed Aasee
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...