माँ की ममता
छंदमुक्त
कहा माँ ने
आ जाओ बेटा
इस बीमार
असहाय की
कभी सुध लेने
नहीं है फुरसत
अभी माँ
आऊंगा फिर
कभी माँ
पत्नी थी
मायके में
कहा उसने
तय हो गयी
शादी बहना की
आ जाओ जल्दी
सब तुम्हें ही
करना है
अगले दिन ही
आ गया वो
जो असमर्थ था
आने के लिए
माँ की बीमारी में
देख रहा थे
यमराज सब
कहा उन्होंने:
“माँ” है बेटा
तेरा नकारा
जा रहा हूँ
हरण प्राण उसके
कहा माँ ने
बिलख कर
” हे यमराज
बदल ले रास्ता
तू अपना
अभी शुरू हुई है
बेटे की जिंदगी
मैं तो जी चुकी
अपनी जिंदगी
हो नकारा
भले ही बेटा मेरा
पर है
वो मेरा बेटा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल