माँ की पीड़ा
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गीत
मेरा लाल गया सरहद पर अब तक ना आया है
रो-रो कर उस बूढ़ी मां ने यह हाल बताया है
जब वो निकला था घर से आने को उसने कहा था
मेरी गीता रामायण लाने को उसने कहा था
डाकिया भी देखो कोई संदेश ना लाया है
मेरा लाल गया सरहद पर अब तक ना आया है।
रस्ता उसका देख देख आंखें भी अब थकती है
आंखों में जल भरकर वो राहें उसकी तकती है
कुछ तो हुआ है एसा जो मेरी समझ ना आया है
मेरा लाल गया सरहद पर अब तक ना आया है।
कुछ देर बाद उसका पार्थिव शरीर आता है_
देश के लिए आज जो तुमने दी है ये कुर्बानी
अब सच धन्य हुई है बेटा तेरी आज जवानी
जब मैं तुझ पर गर्व करूं आज वो दिन आया है
देखो मेरा लाल तिरंगे में लिपटकर आया है।
इति शिवहरे
औरैया,उत्तर प्रदेश