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23 Aug 2020 · 1 min read

माँ का हाल

*******माँ का हाल******
**********************

माँ का हाल हुआ है बेहाल
बेटे बहुओं संग हैं खुशहाल

ईश्वरीय दुआओं, मन्नतों साथ
जान वार कोख से जन्मे लाल

जठराग्नि सह कर के दिन रात
विपदाएँ,कष्टों में पाले थे लाल

गीले बिस्तर पर खुद थी सोई
सूखी सेज पर सुलाए थे लाल

भूखी प्यासी रह टूक खिलाए
निज स्वेद से सींचे प्यारे लाल

जीवन पूँजी सारी दाव लगाई
कमाने लायक बना दिए लाल

खुशी खुशी गृहस्थ बना दिए
वधुओं के हाथों में सौंपे लाल

एक माँ ने सब बच्चे पाल दिए
माँ नहीं पलती ,असमर्थ लाल

जमीन,जायदाद मिल बाँट ली
मंझधार खड़ी रही माँ बदहाल

बूढ़ी आँखे सदा ताकती रहती
किन राहों में छिपे दुलारे लाल

मनसीरत माँ जैसा नहीं सानी
गलियों में क्यों रुलाते हैं लाल
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

अर्द्धानिगयों

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 229 Views
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