माँ का आँचल
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माँ का आँचल है बहुत शीतल और शान्त
मिलती जहाँ पर अपार जन्नत और राहत
निज कोख से जननी ने हमें जन्म दिया
जग में आगमन का हमें शुभावसर दिया
निज खुशियों को कुरबान सदा करते हुए
जो चाहा वो सब कुछ दिया बिना आहत
मिलती जहाँ पर अपार जन्नत और राहत
माँ का दर्जा भगवान से ऊँचा रहा है सदा
सृष्टि की संरचना हुई होगी है जब से यदा
खुदा सके नाम के पहले नाम आता है माँ
जन्मदायिनी,प्रसविनी और प्रसवित्री मात
धात्री सर्वश्रेष्ठ नियामत है कायनात पर
मातृ शक्ति सी शक्ति नहीं हैं वसुंधरा पर
कुटुंब कुटीर को बाधें रखे एकता सूत्र में
रिश्ते बनाना,निभाना सीखाती है मात
मोम सी कोमल और लचीली होती है माँ
बलिदान की जिन्दी जागती तस्वुर है माँ
तात से पहले नाम सदैव आता है मात
पालनहारी करुणामयी दुखहरणी है मात
मनसीरत माँ- बच्चों का रिश्ता है प्यारा
प्रेम वशीभूत सदभावी अनुरागी है न्यारा
सूता की तो जनयत्री सखा सहेली होती
हमसाया ,हमराज , परछाई होती है मात
माँ का आँचल है बहुत शीतल और शान्त
मिलती जहाँ पर अपार जन्नत और राहत
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत