*”माँ कालरात्रि”*
कालरात्रि महाकाली”
रौद्र रूप
सातवीं शक्ति स्वरूपा माँ कालरात्रि ,
सहस्त्रार चक्र में साधक का मन स्थित रहता।
ब्रम्हांड की समस्त प्राणियों की शक्तियों का
सिद्धि द्वार खोलता।
*****************************
कालरात्रि रौद्र रूप व्यापक नरमुंड माला
विभूषित हाथ में तलवार पाश ,
खुले केश लाल नेत्र जीभ लपलपाती।
अस्त्र शस्त्र खड्ग खप्पर अभय मुद्रा ,
गदर्भ वाहिनी भद्रकाली कपालिनी
रुद्राणी भैरवी चामुंडा कालरात्रि कहलाती।
*************************
भूत प्रेत पिशाचों नकारात्मक ऊर्जाओं का सर्वनाश करती।
ग्रह विध्न बाधाओं को दूर कर ,भयमुक्त त्रिनेत्री त्रिलोकी कहलाती।
शुम्भ निशुम्भ का वध माँ दुर्गा का आदेश मान,
रक्तबीज का रक्त पान मुख विस्तार भक्षण कर जाती।
******************************
रक्तदंतिका के दाँत लाल खून से लहूलुहान ,
खड्ग ब्रज बाण ऋृष्टि प्रहार से दैत्यों को मार डालती।
महाकाली चंडी तांत्रिक साधना से ,
सहस्त्रार चक्र जागृत दर्शन दे एकाग्रचित्त मन कर जाती।
***************************
कालरात्रि का स्वरूप साक्षात दर्शन से ,
पुण्य अष्ट सिद्धि नवनिधियाँ ,
ज्ञान शक्ति धन का भागी हो जाता।
समस्त पापों का विघ्नों का नाश कर ,अक्षय पुण्य लोक प्राप्त हो जाता।
*****************************
दुष्टों की विनाशकारी भूत प्रेत विघ्न बाधाओं को हरती।
स्मरण मात्र से राक्षस भयभीत हो भागते,
भक्त उपासकों को अग्नि भय ,
जल जंतु भय शत्रुओ से भयमुक्त भय नाश कर जाती।
**************************
माँ कंकाली का स्वरूप विग्रह हृदय में एकनिष्ठ भाव से नियमों संयम पालन करना सिखाती।
मन वाचा कर्मणा शुद्ध पवित्रता ,
शुभकारी मनोवाँछित फल दे जाती।
****************************
काल ग्रास से ग्रसित मुख विकराल रूप ,
रक्षा करने वाली।
भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान मनोवांछित फल देने वाली।
भूत प्रेत पिशाच योनि बुरी शक्ति से दूर कर भयनाश करने वाली।
***************************
दुष्टों का नाश कर स्मरण मात्र से ,भयभीत हो ग्रह बाधाओं से छुटकारा दिलाने वाली।
भक्तगण हाथ जोड़ वंदन करते ,
विकट स्थिति में भयभीत हृदय को परम शक्ति सुख देने वाली।
***************************
महामारी विपदाओं को दूर कर संकट हर ,
संपूर्ण विश्व जगत को भय मुक्त कर
अब पुनः अवतरित हो आ जाओ माँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
*****************************
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
????????
शशिकला व्यास✍️