माँग भरने की सजा
उनकी माँग भरने की सजा
सारी उमर मै काटता रहा
मांगें पूरी करते करते उनकी
अपनी इच्छाओ को मारता रहा
माँग उनकी एक नहीं अनेक है
गिनना मेरे लिए मुश्किल रहा
उनको अब मै कैसे पूरी करू ?
रात भर मै ये सोचता रहा
इस पाप का पश्च्याताप कैसे करू
ये लोगो से मै पूछता रहा
मिला न उनसे कोई उपाय
दम मेरा मांगो से घुटता रहा
पूछा उपाय पंडितो से भी
उनसे भी न कोई उपाय मिला
होता उपाय उनके पास इसका
पहले अजमाते अपने पर भला
सुबह से शाम हो जाती है
माँग पूरी करते करते मुझे
कैसे उनकी माँगे पूरी करू
उपाय न सूझता कोई मुझे
आर के रस्तोगी