महुब्बत
शीर्षक- ये है महुब्बत
दिल से दिल मिलेंगे, होगा एक नया सबेरा।
प्रेम पाती लिखेंगे, इसमें न तेरा और न मेरा।।
प्यार है जीवन, जाना जब हुआ प्रेम घनेरा।
कभी थे अजनबी,आज नये रिश्ते ने आ घेरा।।
डूब गए हम इक दूजे में, महुब्बत ने डालाजब डेरा।
छिपाए नहीं छिपता ,चढ़ा इश्क का रंग घनेरा ।।
खो जाएं हम,रहें साथ सात जन्मों तक मेरा।
नजर नहीं लगें हमारे रिश्ते को ,अटूट बंधन है मेरा।।
मिले सुर मेरा तुम्हारा, प्यार अमर रहें ,कहें ममेरा।
तुम ही हो मेरे सोलह श्रृंगार,तुम्हारे सिवा नहीं है कोई चचेरा।।
हमारी जिंदगी बने स्वर्ग,न आएं कोई झमेला तेरा- मेरा।
खुशियां के मोती सजाएं मोरा अंगना,मेरी जिंदगी तेरी है सिर्फ शेरा।।
सपनों में खो जाएंगे, मिले हाथ में हाथ जब तेरा।
रव की होगी इनायत, सप्त पदी के लगाएंगे मिलकर हम फेरा।।
विभा जैन( ओज्स)
इंदौर (मध्यप्रदेश)