# महुआ के फूल ……
# महुआ के फूल ……
आदिवासियों का ,
है ये जीवन मूल
खिलने लगे हैं ,
अब महुआ के फूल …!
तपिश बड़ी ,
झुलसाती
नहीं कहीं ,
कोई छईआं…!
इस मौसम ,
टप – टप
टप – टप ,
टपके महुआ …!
रस भरे ,
मद भरे हैं
ये फूल ,
बड़ा ही नशीला …!
गदराया है ,
इसका बदन
ये दिखता ,
बड़ा ही गदीला …!
मयखाने की
ये शहजादी ,
मधुशाला की
मदमस्त जवानी …!
बढ़ती इसकी ,
बेहद खूबसूरती
मिलता जब इसमें ,
बर्फीला पानी ….!
होंटो से लगाते,
रस तेरे मद भरे
कोई यहां पड़े ,
कोई वहां पड़े …!
गरीबों का सुकून ,
अमीरों का जुनून
सर पर चढ़ी तो ,
सब अंधा कानून …!
बनाने वाले ने तो ,
बना दिया इसे
किसने बदनाम किया ,
दोष दे किसे …!
देखें तुझे जी ललचाए ,
क्या राजा और फकीरा
मादकता भरे तेरे हुस्न,
बनती तू है मंदिरा …!
टप-टप टपके महुआ ,
ये फूल बड़ा ही नशीला
आग लगे तन-मन में ,
बन के उतरे जब मदिरा …!
आदिवासियों का ,
है ये जीवन मूल
खिलने लगे हैं ,
अब महुआ के फूल …!
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छ.ग.)