महिषासुरमर्दिनी
शेर पर होके सवार तू रहती है पहाड़ों वाली,
दर पे तेरे सर जो झुके कभी ना वो आये खाली।
तू हीं दुर्गा,तू हीं चंडी,तू हीं काली,तू हीं सती है,
तू हीं लक्ष्मी,तू हीं सरस्वती,तू हीं महाकाल की गती है।
ओ महिषासुरमर्दिनी अब तो तू धरती पर आजा,
अत्याचार और पाप से आकर इस धरती को बचा जा।
तेरे सिवा और कोई नहीं जो धरती का दुख हर पायेगा,
तू जो चाहे मां एक पल में हर संकट टल जायेगा।
ओ जगदंबा,ओ जगतजननी,तू हीं तो है जगत की माता,
तेरी महिमा के आगे सर है झुकाता सकल विश्व विधाता।