महाश्रंगार छन्द पर गीत
गीत
श्याम लो कलयुग में अवतार, कीजिये दुष्टों का संहार।
बना दो पावन धरा पुनीत, मिटाकर जग से अत्याचार।
बनी है दुनिया लोभी आज, स्वार्थ में करते हैं सब काज।
दिखें बाहर से सुगम सुशील, छुपे है उनके अंदर राज।
बने हैं देखो पुत्र कुपुत्र, करें अब मातु पिता पर वार।
श्याम लो कलयुग में अवतार, कीजिये दुष्टों का संहार।
द्रोपदी की बचती ना लाज, हुए हैं उल्टे सब दस्तूर ।
हो रहे नेता भी पथ भृष्ट, कचहरी पुलिस न्याय से दूर।
बढ़ रहे जग में हैं अपराध, हुआ है जीना अब दुश्वार।
श्याम लो कलयुग में अवतार, कीजिये दुष्टों का संहार।
हुए निर्दयी सभी इंसान, छीन लेते हैं मुख मुस्कान।
बढ़ रहे नित हिंसक प्रतिवाद, आत्म हत्या कर मरा किसान।
काटते मानव, पशु निर्दोष, सुनो पशुओं की करुण पुकार।
श्याम लो कलयुग में अवतार, कीजिये दुष्टों का संहार।
अभिनव मिश्र अदम्य