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24 Jul 2019 · 1 min read

महानगर

महानगर में

महानगर में
अंतहीन भीड़ थी
भागमभाग थी
स्वार्थपरता थी
भीड़ में भी था
एकाकीपन
व्यापार था
बाजार था
खरीददार था
मैट्रो ट्रेन थी
महँगी गाड़ियाँ थीं
फुटपाथ नापते
फटेहाल थे
सब कुछ था
परन्तु भाव नहीं था
स्नेह व लगाव नहीं था

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 324 Views
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