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20 May 2020 · 1 min read

महफिले थम सी गई

** महफिलें थम गई **
******************

महफिलें हैं थम सी गई
रौनकें भी जम सी गई

भर भर प्याले पीते थे
वो घड़ियाँ बीत सी गई

मेले खूब भरते थे जहाँ
एकांतवास में रीत गई

यारियां भी आबाद थी
वो लड़ियाँ टूट सी गई

मजलिसें खूब रंगोभरी
रंगीं घड़ी छूट सी गई

नजारों भरे थे दिन रात
हसीं दुनियां लुट सी गई

चेहरे थे खुशियों भरे
झोली भरी डुल सी गई

सुखविंद्र भी गमगीन है
हर्षित घड़ी लद सी गई
******************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 377 Views
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