महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
गज़ल
221/2121/2121/212
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
हॅंस कर सभी से दर्द को छुपा रहा था वो।1
हैं मुश्किलें उसी की तो उसी को झेलना,
औरों का क्या कुसूर ये जता रहा था वो।2
लेकर गए जो वोट फिर ना आए लौट कर,
वर्षों से ऐसे नेता ही जिता रहा था वो।3
पतझड़ सी जिंदगी में आने वाले थे बसंत,
अब ख्वाब कुछ हसीन से सजा रहा था वो।4
मां-बाप क्या गए थे सुख ओ चैन सब गया
दुख दर्द में ही जिंदगी बिता रहा था वो।5
प्रेमी वो कौन जिंदगी चुरा के ले गया,
बस जिंदगी का साथ अब निभा रहा था वो।6
………..✍️ सत्य कुमार प्रेमी