महत्व
कागज को अपने उजले रूप पर अभिमान हो गया। उसने एक दिन कलम से कहा- जब भी तुम चलती हो, सिर से पैर तक स्याह कर देती हो।
कलम से रहा न गया। उसने कहा- तेरा उजला तन किसी काम का नहीं, अगर मैं इन स्याह अक्षरों से भर ना दूँ। तुम्हें इसके बगैर सम्हाल कर रखेगा भी कौन और भला क्यों? दरअसल मेरे द्वारा लिखे गए अक्षर ही आभूषण की तरह तेरा रूप निखारता है।
कागज अब समझ गया था कि काले-गोरे का महत्व नहीं है, वरन महत्व गुणों का है।
मेरी प्रकाशित कृति : मन की आँखें (लघुकथा संग्रह) से,,,।
मेरी समस्त लघुकथाएँ “दलहा, भाग 1 से 7” में संग्रहित हैं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।