” महत्वाकांक्षा “
” महत्वाकांक्षा ”
महत्वाकांक्षा के आकाश में
दिखती है मंजिल
मगर खो जाते हैं रास्ते
घुप्प अन्धेरों में,
दब जाते राख के ढेरों में।
” महत्वाकांक्षा ”
महत्वाकांक्षा के आकाश में
दिखती है मंजिल
मगर खो जाते हैं रास्ते
घुप्प अन्धेरों में,
दब जाते राख के ढेरों में।