Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Apr 2019 · 1 min read

#कुंडलिया//दूध का दूध पानी का पानी

नीचा-ऊँचा भूल के , समता का उल्लेख।
सूरज देता रोशनी , सम सबको ही देख।
सम सबको ही देख , बने ऐसा ही राजा।
मिटे मनो से भेद , वक़्त का यही तकाज़ा।
जुमले बाजी छोड़ , सत्य का खिला बगीचा।
डालो मत तुम फूट , कर्म विष सम ये नीचा।

सुनके सबकी बात जो , न्याय करे है नेक।
दही मथे ज्यों घी बने , उसकी ऐसी टेक।।
उसकी ऐसी टेक , चुने मिल ऐसा नेता।
सही कर्म नित झूम , खुशी मन को वो देता।
सुन प्रीतम की बात , वोट दें बढ़िया चुनके।
करके बुद्धि प्रयोग , वोट दो मन की सुनके।

वादे होंगे ख़ूब जी , सुनके पाओ चैन।
चाहत सौलह लाख की , भूल गए क्या नैन।
भूल गए क्या नैन , सफ़ेद हुआ धन काला।
खाता खाली यार , पड़ा अब भी है साला।
लोगों जागो आज , रहो ना सीधे-सादे।
देख धरातल रूप , निभा सकते क्या वादे।

#आर.एस. ‘प्रीतम’

340 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
" उज़्र " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
हे कृष्ण कई युग बीत गए तुम्हारे अवतरण हुए
हे कृष्ण कई युग बीत गए तुम्हारे अवतरण हुए
Saraswati Bajpai
*कुछ शेष है अब भी*
*कुछ शेष है अब भी*
अमित मिश्र
"वो गली"
Dr. Kishan tandon kranti
4228.💐 *पूर्णिका* 💐
4228.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Sumclub là cổng game bài đổi thưởng tin cậy, hợp pháp tại Vi
Sumclub là cổng game bài đổi thưởng tin cậy, hợp pháp tại Vi
Sumclub - Đẳng cấp game bài đổi thưởng
दूर हो गया था मैं मतलब की हर एक सै से
दूर हो गया था मैं मतलब की हर एक सै से
कवि दीपक बवेजा
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
तुमको अच्छा तो मुझको इतना बुरा बताते हैं,
तुमको अच्छा तो मुझको इतना बुरा बताते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय*
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
............
............
शेखर सिंह
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
मौत के डर से सहमी-सहमी
मौत के डर से सहमी-सहमी
VINOD CHAUHAN
" रागी "जी
राधेश्याम "रागी"
प्रेम आपको परिवर्तन के तरफ, और मोह अहंकार के तरफ ले जाता है।
प्रेम आपको परिवर्तन के तरफ, और मोह अहंकार के तरफ ले जाता है।
Ravikesh Jha
राष्ट्र सेवा के मौनव्रती श्री सुरेश राम भाई
राष्ट्र सेवा के मौनव्रती श्री सुरेश राम भाई
Ravi Prakash
दिवाली है दीपों का पर्व ,
दिवाली है दीपों का पर्व ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
धर्म सवैया
धर्म सवैया
Neelam Sharma
नदी की करुण पुकार
नदी की करुण पुकार
Anil Kumar Mishra
होता अगर पैसा पास हमारे
होता अगर पैसा पास हमारे
gurudeenverma198
हर इश्क में रूह रोता है
हर इश्क में रूह रोता है
Pratibha Pandey
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
Rajesh Kumar Arjun
Destiny's epic style.
Destiny's epic style.
Manisha Manjari
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
Er.Navaneet R Shandily
भावना लोगों की कई छोटी बातों में बिगड़ जाती है,
भावना लोगों की कई छोटी बातों में बिगड़ जाती है,
Ajit Kumar "Karn"
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
Jogendar singh
बोनूसाई  पर  दिखे, जब जब  प्यारे  सेब ।
बोनूसाई पर दिखे, जब जब प्यारे सेब ।
Neelofar Khan
Loading...