“महजबीं”
“महजबीं”
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कल रात ख़्वाबों में आई थी एक हमनशीं ।
खूबसूरत सी, प्यारी सी जैसे कोई महजबीं ।
चाॅंद भी सामने पड़ जाए उनके थोड़ी फीकी ,
ऐसी ही इक परी थी वो मनमोहक, दिलनशीं ।
~अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
~किशनगंज ( बिहार )
( स्वरचित एवं मौलिक )
दिनांक : 28/02/2022.
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