महगाई तो सभी पे बिजली गिरा रही है।
गज़ल
छोटे बड़े मझोले सबको रुला रही है।
महगाई तो सभी पे बिजली गिरा रही है।
खाली पड़े सिलेंडर कोने में घर के देखो,
चूल्हे धुएं में अम्मा आँसू बहा रही है।
दुनियाँ हुई है उनकी कुछ कदर दिवानी,
है जिंदगी जहन्नुम जन्नत बता रही है।
भूखों मरेंगे मुफलिस मजदूर बेसहारा,
उनको चुना है जिसने सबकी खता रही है।
बेचैन हो रहा है रोजगार बिन युवा भी,
बेरोजगारी दिन दिन खाये ही जा रही है।
जीवन हमारा सबका अब है हवाले उनके,
नैया हमारी सबकी अब डगमगा रही है।
सबने किया है उनसे तन मन से प्यार प्रेमी,
तकलीफ आम जनता फिर क्यों उठा रही है।
……✍️प्रेमी