महकती बहारें
घूमती रहेगी धरती
आती जाती रहेंगी ऋतुऐ
समय के चक्र मे
बदलते रहेंगे नजारे ।
बहती रहेगी नदिया
पनपते रहेंगे खेत खलिहान
बदल जायेंगे इक दिन
बरसो पुराने किनारे ।
चलती रहेगी दुनिया
चमकते रहेंगे चांद सितारे
लौटेंगे नही इक दिन
हम किसी के पुकारे ।
आती रहेगी खुशबु
चमन के फूलों से
गुजर जायेंगे लाखो पतझड़
महकती रहेंगी बहारें ।।
राज विग 25 12.2020