महंगाई एक त्यौहार
महंगाई की मार है,
यह तो एक त्यौहार है ।
जो त्यौहार एक बार नहीं,
मानते है हर एक दिन गरीब ।
भूखमरी लगता है,
गरीबों का एहसान है।
महंगाई एक महामारी है,
हर एक जगह हाहाकार है।
भूख लगती है तीन बार है ,
क्या करें ?गरीब लाचार है !
गौतम साव