मस्तिष्क में छुपा मन —- शेर
मस्तिष्क में छुपा मन,सफर कितना करता है।
गति वायु की हार जाए,उछाले कितनी भरता है।
करना वश में मुश्किल,किया जिसने मिली मंजिल।
खोजिए तजबिज तरकीब,विनय ” अनुनय” करता है।।
अपनी सोच को मुकाम दीजिए,काम कुछ ऐसा कीजिए।
मिल जाए रास्ता खुद को,मशवरा अन्यो को भी दीजिए।
जिंदगी मिली इसीलिए, जीना साथिया इसके ही लिए।
भटकने वाली सोच को, हमेशा के लिए छोड़ दीजिए।।
राजेश व्यास अनुनय