मसला
जो शोर पीकर और धूल फाँककर जीते हैं, उन्हें ध्वनि या वायु प्रदूषण की क्या चिन्ता? वे गमों की चादर ओढ़ कर खुले आसमान के नीचे मुस्कुराते हुए अपनी दिनचर्या में व्यस्त नजर आते हैं। आएंगे भी क्यों नहीं, क्योंकि भूख से बड़ा मसला दुनिया में कुछ हो नहीं सकता।
मेला : कहानी-संग्रह में संकलित
‘बेचारा बंजारा’ कहानी से…
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
श्रेष्ठ लेखक के रूप में
विश्व रिकॉर्ड में दर्ज।