मसला ये नहीं कि लोग परवाह नहीं करते,
मसला ये नहीं कि लोग परवाह नहीं करते,
मुद्दा ये है कि आप उम्मीदें इतनी क्यों रखते।
हर दर्द की दवा हर कोई नहीं दे सकता,
मगर दिल के खालीपन को भरने की कोशिश क्यों करते।
दूसरों की समझदारी की बातें सबको अच्छी लगती हैं,
फिर अपनी परेशानियों को साझा करने की आदत क्यों रखते।
हर किसी की दिलासे की उम्मीद परवाह से अधिक है,
इसलिए आप बार-बार दिल पर बोझ क्यों ढोते।
जिंदगी की राह में मुश्किलें तो आएंगी हर मोड़ पर,
मगर दूसरों से उम्मीदें इतनी क्यों सजाते हैं।
मसला ये नहीं कि कोई साथ नहीं देता,
मुद्दा ये है कि आपकी परेशानियों को आप खुद समझ क्यों नहीं पाते।