मशीन कलाकार
कलात्मक रंगों से ,
सजा था ,एक अहाता।
अचानक वहां
बन गया
तकनीक से पोषित
रोबोट से संचालित
दफ्तर ।
कलाकार अब
मजदूर बने थे
बोले , अब हम पुराने और
घिसे पिटे हैं
अब छांट- छंटकर
दिहाडी़ में
पत्थर तोड़ने वाले बने हैं ।
उफ, एक पारंपरिक कला होती थी
रंगो को ब्रश में डुबोकर
डूबे रहते थे यहां
चित्रकार,
जब तकनीक ने
उड़ा दिया मखौल।
दस्तकारी और कारोबार के
नये
उस्तादों ने
कैसे
बदल दिया माहौल ।