मलाल
पिचकारी का रंग मुझे लाल करे,
बस तेरा न होना, मलाल करे।
मैं ऐसा करता तू होता तो,
मैं वैसा करता तू होता जो,
दिल कैसे कैसे ख़याल करे।।
बस तेरा न होना, मलाल करे….
फाग आया, बसंती हर ओर रंगे
बस एक दिल में बसी सूरत बेनूर लगे
काश तुझसे बातें हुई ना होती
तो आज यादें बरस गई ना होती
मन भीतर भीतर लाल करे ।।
बस तेरा न होना, मलाल करे….
लग गई आग, होलीका दहन करे
आंखों में खुशी का जलन भरे
एक यादों का ढेर अंदर भी है
उनमें तेरे वादों का भंवर भी है
इसे कैसे अनल के गाल करे
बस तेरा न होना मलाल करे ….
अवीर, गुलाल, और फागुनी बादल
तेरी आंखे और आंखों का काजल
आखिरी याद तेरा पलटना और मुस्कुराना
मोहब्बत की किस्मत यही, का वही बहाना
हर बार वही याद फिर वही सवाल करे।।
बस तेरा न होना मलाल करे…
स्वरचित रचना
प्रवीण शर्मा