मर्यादा
तीन लोक और सृष्टि सारी, मर्यादा में बंधी हुई
आसमान पाताल और धरती, मर्यादा से जुड़ी हुई
सूरज चांद ग्रह उपग्रह तारे, सदा संतुलन रखते हैं
अपनी मर्यादा परधि से, बाहर नहीं निकलते हैं
मर्यादा के पालन से ही, चलती है सृष्टि सारी
नियम कानून सदाचरण, मानवता को है हितकारी
मर्यादा है चाल चलन, एक उत्तम व्यवहार है
रिश्तेनाते व्यवहार वार्ता,मर्यादा में बसा हुआ संसार है
मर्यादा का उल्लंघन, पतन और विध्वंस है
अतिक्रमण मर्यादा का,रावणकुंभकरण और कंस है
मर्यादा है संस्कार, सीमाओं में सबको रखती है
मर्यादापालन उत्तम गुण हैं, मर्यादापुरुषोत्तम करती है
धर्मअर्थ काम मोक्ष, सामाजिक नियम, जीवन में बहुत जरूरी है
मर्यादा पालन के बिन, कल्पना जीवन की अधूरी है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी