मर्यादाशील
हंसते-हंसाते हर गम छुपा, खुशियां मनाते चल हम रहे हैं ।
सदियो के जख्मो को सिलते-सिलाते, मरहम लगाते बढ हम रहे हैं ।।
अपना पराया ना करते हैं हम तो, सबको गले हम लगाते रहे हैं ।
झुटे हो बेर और अंगद से शेर, राम के भरोसे चल हम रहे हैं ।।
सर पर शीखा मस्तक तिलक, जिव्हा पे नाम राम का ।
आदर्श वो मृदु भाषी हैं वो , सबके हैं प्यारे राम वो ।।
दशरथ के लाल सबसे विशाल, शीतल हैं नाम राम का ।
कौशल्या के चेन कमल से नयन, ऐसा हैं नाम राम का ।।
अयोध्या नरेश सबसे विशेष, प्यारा सा नाम राम का ।
मर्यादाशील सबसे सुशील, प्यारा हैं नाम राम का ।।
– ललकार भारद्वाज