मर्द
मर्द
हो गया गर किसी का,
किसी और का हो नहीं सकता
जो दर्द है दिल में,
किसी से कह नहीं सकता
किसी के कांधे पर रखकर
सिर रो नही सकता
उसके खालीपन को कोई
कभी भर नहीं सकता
वक्त के साथ ….
धीरे-धीरे वह शांत हो जाएगा
ना जाने कब सुशांत हो जाएगा।
Shubham Anand Manmeet