मरने वाला तो इंसान अदद होता है
न हिंदू न मुसलमान, इंसान बढ़ा होता है
मरने वाला तो, इंसान अदद होता है
मां तो बस मां ही होती है, दिल तो उसका ही रोता है
एक पिता की सब संतानें, कौन मरा कौन जिंदा
मरने वाला तो भी है, उसी खुदा का बंदा
प्रेम शांति और अमन की, दीन ने राह दिखाई
बंदा परवर मैंने कैसी, दुनिया में आग लगाई
मत मारो इंसान, बाप हूं दिल मेरा भी रोता है
विभत्स है ये आतंक, जिसमें बेगुनाह जाया होता है
मरने वाला तो, इंसान अदद होता है
हिंसा की भीभत्स आग से, नुकसान बहुत होता है
प्रेम और अमन के बदले, जहर क्यों बोता है
मरने वाला तो, इंसान अदद होता है