मरना क्यों?
कुछ लोग मर जाते हैं
कुछ लोग इंकार कर देते हैं
मरने से
अंततः मरना उन्हें भी पड़ता है
जो इंकार कर देते हैं।
उन्हें दुनिया समझती है आदर्श
और सिद्धांतों का पुरोधा
विचारों का संवाहक जो ला सकते थे
समाज में बदलाव
भड़का सकते थे ज्वाला क्रांति की
उठ खड़ी होता है मशालें लेकर समाज
अपना मसीहा मानते हुए
जो कर देते हैं इंकार मरने से।
मरना मात्र शरीर का
होता नहीं निष्प्राण होना
ज़िंदगी में आया लिजलिजापन बर्दाश्त करना
होता है मौत से भी बदतर।
लोगों के कंधों पर शव की सवारी
निकालने से बेहतर है
दिमागों में घुस जाओ फितूर की तरह
इंकार करके मरने से।
डाॅ बिपिन पाण्डेय