मयखाना
मेरी जवानी तेरी जवानी की मोहताज़ नहीं,
शोर तो बहुत है पर तूँ कोई आफ़ताब नहीं,
फट चुके हैं सारे पन्ने कवर का क्या मैं करूँ,
जो मयख़ाने में मिट जाय वो तेरे पास नहीं,
मेरी जवानी तेरी जवानी की मोहताज़ नहीं,
शोर तो बहुत है पर तूँ कोई आफ़ताब नहीं,
फट चुके हैं सारे पन्ने कवर का क्या मैं करूँ,
जो मयख़ाने में मिट जाय वो तेरे पास नहीं,