मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ..
मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ..
मेरी आँखों से उलझा जो..
आँसू! उसको बहला जाओ ।
मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ।।
जो तेरे साथ बिताए क्षण,
वो आज हुए स्मृति के कण ।
घर-ऑंगन के एक-एक कोने,
की याद मुझे कर दे बेकल ।
अपने ऑंचल की छाया से
फिर से मुझको सहला जाओ।
और अपने काॅंधे पर मेरा,
मस्तक रख मुझे रूला जाओ।
मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ।।
अभिसिंचित कर दो तुम मुझको
स्नेह की मधुर फुहारों से।
स्मित दो मेरे अधरों को,
शब्दों के अमिट सहारों से।
फिर प्रात की उस मधुरिम पुकार से,
निद्रा मेरी खुला जाओ।
मेरे मन की व्याकुलता का,
हल कोई तुम बतला जाओ।
मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ।
मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ..
स्वरचित
रश्मि लहर,
लखनऊ