मम्मी क्या खाना बन गया ? ( कविता)
मम्मी क्या खाना बन गया ? ( कविता)
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सरकार से यह है निवेदन दूसरा बच्चा न हो
चाहते जो सब्सिडी उनसे जरा खुलकर कहो
एक बच्चे तक तुम्हारी सब्सिडी सब माफ है
दूसरा पैदा किया तो सब समझ लो साफ है
सब्सिडी में ली दवाई सब्सिडी में की पढ़ाई
दाल रोटी और चावल सब्सिडी में खूब खाई
एक के फिर बाद दूजा तीसरा है फिर सुना
सब्सिडी का खर्च ऐसे दोगुना फिर चौगुना
इस तरह से देश का सारा खजाना-धन गया
एक दर्जन पूछते ,मम्मी क्या खाना बन गया ?
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,
रामपुर ,उत्तर प्रदेश, मोबाइल 99976 15451