ममता
ममता माँ की क्यों न हो, बोलो आज अधीर,
जब खुद के सुत खींच दें, माँ के वक्ष लकीर।
माँ के वक्ष लकीर, भुलाकर सारी समता,
रंच स्वार्थ में तौल, बेच दें सारी ममता। 1
ममता माँ की क्यों न हो, बोलो आज अधीर,
जब खुद के सुत खींच दें, माँ के वक्ष लकीर।
माँ के वक्ष लकीर, भुलाकर सारी समता,
रंच स्वार्थ में तौल, बेच दें सारी ममता। 1