ममता की प्रतिमूर्ती मेरी माँ
भगवान का खेल बड़ा निराला देखो,
धरती पर ममता की प्रतिमूर्ती माँ को देखो…
हम बच्चे हैं माँ की छाँव तले,
उनकी छत्र छाया में पले बढ़े….
कभी गिरते हैं, कभी संभलते हैं, कभी रोते हैं तो कभी हसते हैं,
मगर हर वक्त हम भगवान रूप में माँ को याद करते हैं…
जब मुसीबत या आफत आती है,
हमारे आगे भगवान रूप में हमारी माँ आती है…..
जब जब हमारी आँखों में आँसू आते हैं,
तब उनकी भी आँखों से मोती झरते हैं….
भगवान का खेल बड़ा निराला देखो,
धरती पर ममता की प्रतिमूर्ती माँ को देखो…
ज्ञान प्रिया
फैजाबाद उ.प्र.