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10 Jan 2021 · 1 min read

ममता की छांव में

टूटा हुआ था घर, नहीं था कोई डर.
सुना सुना वीरान था सारा नगर.
बेड़ियां पड़ी थी पांव में,
मैं खुश था अपनी मां की ममता की छांव में.

रोते थे बच्चे, डरता था बचपन.
पढ़ ना जाए छाला पांव में.
सूखी थी रोटियां, नगर नगर और गांव में.
फिर भी मैं खुश था अपनी मां की ममता की छांव में.

झकझोर देता था मन, बिना पतवार की नाव में,
काश कभी तो पहुंचू अपने गांव में.
मां मैं खुश था,
तेरी ममता की छांव में….

Language: Hindi
2 Likes · 9 Comments · 400 Views
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