-मन
कविता
– मन
मन में उठती अभिलाषा,
आतुर, अनन्त,
होता तब विचलित मन,
संशय,संदेह से पूरित होता,
वेगो से रम जाती विकलता,
पूर्ण तरंग आकुलता,
चैन ना पाए चंचल मन,
कभी इधर,कभी उधर,
भटकता विकट मन,
मन में उठता द्वेग कम्पन,
जन्म लेती तीव्र इच्छा,
विकट मन की अनंत अभिलाषा,
जब मन को छोड़…बात ह्रदय पर आई,
समझो ,ह्रदय की विस्तृत गहराई,
समझाता मन को..थम जाता विचलन,
मिलता मन को सम्बल,
पुलकित हो उठता हर्षित मन,
सीख जाता जग जीवन मंत्र,
हरित हो जाता जीवन उपवन।
– सीमा गुप्ता ( अलवर राजस्थान)