मन
अग्र गामी हमारा मन कर्म गति मन बनाता है।
कि जैसे बैल गाड़ी का घूमता चक्र जाता है।।
जीत पाए जो अपना मन बहुत बलवान बन जाए।
जीत और हार का परिणाम मानव मन से आता है।।
ध्यान अरु साधना का मूल भी इस मन मे रहता है।
कर्म संकल्प का आधार भी इस मन में बहता है।।
मनीषी है वही मानव नियंत्रित मन को जो करले
दुखो के बीज से मानव हमेशा कष्ट सहता है।।