मन ये मुस्कुराए
तू सामने मेरे बैठे तो
मन ये मुस्कुराए
तू मुझसे ना मुझ को चुरा
मेरी नींद उड़ जाए
बस सोच के तेरी बात
पूरा दिन ढल जाए
आए सावन की एक बरसात
जिसमें हम भीग जाएं
कभी राह से तेरी गुजरुँ
दिल मिलने को तरस जाए
सामने तेरे आ जाने से
क्यूं खामोश हम हो जाएं