*मन या तन *
डा. अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक , अरुण अतृप्त
* मन या तन *
एक स्त्री जब कविता लिखती है
एक नर जब कविता लिखता है
बहुत अन्तर होता है –
स्त्री मन को लेकर
काव्य सृजन करती है
पुरुष तन को लेकर
काव्य सृजन करता है
अर्थात् स्त्री मनोभाव
से प्रेरित होती है
और पुरुष यथार्थ से
स्त्री कोमल कोमल कोमल
भाव बुनती है
और पुरुष सपनों को लेकर
संजीदा हो जाता है
दोनो इस धरती पर ही
रहते हैं एक ही परिवेश
में जीते है
एक सा ही जीवन भोगते हैं
फिर भी न जाने क्युं
स्त्री द्वारा रचित काव्य
स्पन्दन पैदा करता है
और पुरुष द्वारा रचित काव्य उत्तेजना ,
सोच सोच की बात है
स्त्री कृष्ण को प्यार करती हैं
तो वहीं पुरुष शिव को रमता है
शब्द वही हैं बस उनके जनक
एक स्त्री व एक पुरुष
एक नर एक नारी
किसी भी वय के हों
अर्धव्यस्क , वयस्क युवा प्रौढ
अधेढ़ या सम्पुर्ण परिपक्व जीवन
तो उनके सम्पुर्ण लेखन में
झंकृत होता है फर्क बस
लैंगिक होता है – एक चिर जागृत
एक सुसुप्त नशेमन
धड्कता सुसुप्त नशेमन