मन मे रह गई
***मन मे सह गई****
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दिल की दिल मे रह गई,
मन ही मन में सह गई।
सुनता आया तू सदा,
बातें वो सारी कह गई।
रहता जो तू था जहाँ,
वो ईमारत ढह गई।
कहता आया तू सही,
गाड़ी कब की लह गई।
जो साथी था वो हटा,
बेकारी थी गह गई।
घर कब का था वो टूटा,
मिट्टी तो थी तह गई।
मनसीरत कब का गया,
हृदय पर थी सह गई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)