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6 Jan 2025 · 1 min read

मन में योग हैं,

मन में योग हैं,
दिल में वियोग हैं ।
बता दें मेरे कान्हा
ये जीव का कैसा संयोग हैं।
मीराबाई वाली समर्पण दें।
राधा वाली प्रीत ।
फिर होऊं निड़र।
कर पाऊं पूरी जीवन सफल।
-डॉ.सीमा कुमारी-6-1-025की स्वरचित रचना है मेरी जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।

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