मन दिल
हृदय स्पर्श को आतुर है जल,
जड़ तना कलि फल और फूल,
क्या करें तब,जब रूठ जाये मूल.
मन तो विषय विकारी है सबल,
कर बैठता है, कोई न कोई भूल
मन उजला, देह विकार, कौन मलाल.
हृदय स्पर्श को आतुर है जल,
जड़ तना कलि फल और फूल,
क्या करें तब,जब रूठ जाये मूल.
मन तो विषय विकारी है सबल,
कर बैठता है, कोई न कोई भूल
मन उजला, देह विकार, कौन मलाल.