मन क्या है मन के रहस्य: जानें इसके विभिन्न भाग। रविकेश झा
नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करता हूं कि आप सभी अच्छे और जागरूकता के तरफ बढ़ रहे होंगे। और पोस्ट को पढ़े होंगे आशा करता हूं कि आप सभी को मेरा पिछला लेख पसंद आया होगा। और आप सभी उत्सुक होकर पढ़े होंगे और समझने के लिए स्वतंत्र होकर पढ़ रहे होंगे पढ़ना भी चाहिए जब तक आप जानते रहोगे आप एक संतुष्टि के तरफ बढ़ोगे और जीवंत होते रहोगे। मैं कई पोस्ट लिखा हूं लेकिन सभी ध्यान पर ही ताकि आप सभी भी ध्यान में डुबकी लगाएं और लोग को भी प्रेरित करते रहे।
मैं एक बात कहता हूं कि धन भी कमाना चाहिए क्योंकि जब तक आप अर्थवान नहीं बनेंगे तब तक आप अति और कामना से निष्काम में आने में बहुत समय लगेगा क्योंकि बुनियादी सुविधाएं के बिना हम सत्य तक नहीं पहुंच सकते पहले हमें शरीर को जानना होगा जानने के लिए पेट भी भरना चाहिए ताकि जानने में ऊर्जा बचे रहे ताकि हम पढ़ सके। पैसा कमाना चाहिए ताकि कुछ सहायता मिल सके, थकावट महसूस न हो। अब ये भी नहीं की हम काम करते जाएं और शाम तक थक कर सो जाएं और फिर सुबह से दौर शुरू करे। हमें बुनियादी चीज को समझना होगा अर्थ बहुत जरूरी है अर्थ से ही भोजन प्राप्त होगा आज के समय में तो हमें धन कमाना चाहिए और साथ ही जो जरूरत है कपड़ा मकान पत्नी जिसकी जो कामना हों वो पूर्ण होना चाहिए, ताकि हम अति और कामना को समझ सके और आगे चलकर ध्यान के तरफ बढ़े और जागृत हों। और फिर धन पद प्रतिष्ठा के साथ साथ स्वयं को भी जान सके।
लेकिन उसके लिए हमें पहले मन को समझना होगा ताकि हमें उत्सुक होकर स्वयं के अंदर जाए और स्वयं के स्वभाव को भी जान सके। ध्यानी कहते हैं की स्वयं को जानना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है जब तक हम स्वयं को नहीं जानेंगे तब तक हम घृणा क्रोध लोभ अहंकार और अति में जिएंगे। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं और जानने का प्रयास करते हैं कि मन क्या है और मन के भाग कितने और कैसे काम करता है। और अभी तक आप मेरे पिछले पोस्ट लेख को नहीं पढ़े हैं तो एक बार अवश्य पढ़ लें ताकि सभी पोस्ट को समझने में दिक्कत न हो। जरूर पढ़े।
मन क्या है।
मन को समझना इतना आसान नहीं है हमें मन को समझने से पहले स्वयं में उत्सुक होना चाहिए ताकि पढ़ते समय हम जागरूकता रखें और सामान्य दृष्टि से जानें। मानव मन एक जटिल और आकर्षक इकाई है, यह हमारे शरीर विचार और भावनाओं को नियंत्रण करता है। मन शरीर बुद्धि भावना से एक मन बनता है, ऐसा कहे कि शरीर बुद्धि भावना का जोड़ है मन। मन एक प्रवाह है जो निरंतर बदलता रहता है इसमें गति होती है ये हमारे विचार और भावना को परिवर्तित करता रहता है। ओशो कहते हैं मन एक बंधन है मन हमें बंधता है और हमें अपने विचारों और भावनाओं के अधीन करता है। यह हमें अपने सच्चे स्वरूप से दूर करता है। हमें इसके विभिन्न भागों और कार्यों का पता लगाना होगा। इस पोस्ट में हम मन के रहस्यों को जानेंगे। हम इसके घटकों को तोड़ेंगे और समझाएंगे कि वे एक साथ कैसे काम करते हैं। तो चलिए जानते हैं मन के भाग।
चेतन मन।
चेतन मन हमारे मन का वह हिस्सा है जिसके बारे में हम जानते हैं। यह हमारे विचारों और भावनाओं के लिए ज़िम्मेदार है। हम इसका इस्तेमाल निर्णय लेने और समस्याओं को हल करने के लिए करते हैं जिसे हम बुद्धि का हिस्सा भी कह सकते हैं। जब हम किसी कार्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं या बातचीत में शामिल होते हैं, तो हम अपने चेतन मन का उपयोग कर रहे होते हैं। यह हमें अपने दैनिक जीवन को नेविगेट करने और अपने आस-पास की दुनिया के साथ बातचीत करने में मदद करता है। जहां भी समझदारी की बात होगी लेने की बात होगी कामना पूर्ण करने की बात होगी फिर हम चेतन मन में प्रवेश करते हैं यदि हमें पहले जानना हो तो की ये क्या है इसे कैसे खरीदें कैसे कुछ ले ये सभी चेतन मन का हिस्सा है। इसमें जागरूकता की बात होती है।
अवचेतन मन।
अवचेतन मन हमारी जागरूकता के स्तर से नीचे काम करता है। यह हमारी यादों, आदतों और विश्वासों को संग्रहित करता है। मन क्या यह हिस्सा हमारे व्यवहार को भी प्रभावित करता है, बिना हमें एहसास हुए भी। उदाहरण के लिए, जब हम कार चलाते हैं, तो हम सचेत रूप से हर क्रिया के बारे में सोचते हैं। हमारे अवचेतन मन नियंत्रण कर लेता है, जिससे हम आसानी से गाड़ी चला लेते हैं। इस मन के साथ हम कल्पना प्रेम करुणा मानना, भक्ति और प्रेम की मार्ग पर चलते हैं, ये भावना के स्तर पर काम करता है, याद करना खोए रहना गाने गाना किसी को कुछ भी देने की हिम्मत करुणा के पथ पर चलना ये ये सब बातें अवचेतन मन का हिस्सा हो सकता है।
अचेतन मन।
अचेतन मन हमारे मन की सबसे गहरी परत है। इसमें हमारे गहरे भय, इच्छाएं और सहज प्रवृत्ति समाहित होती हैं। मन का यह हिस्सा आसानी से सुलभ नहीं है, लेकिन इसका हमारे व्यवहार पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जैसे की सेक्स की इच्छा वस्त्र और मकान खाने पीने की इच्छा ये सब अचेतन मन का हिस्सा है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक फ्रायड का मानना था कि हमारा हमारे व्यक्तित्व और कार्यों को आकार देता है। उन्होंने मन के इस छिपे हुए हिस्से का पता लगाने के लिए स्वप्र विश्लेषण जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया। कामना का केंद्र अचेतन मन में ही छुपा हुआ है। हमें जागरूकता के साथ जानना चाहिए ताकि हम मन के भाग को समझ कर स्वतंत्र रहे और सभी मन का सार्थक उपयोग कर सके।
परम चैतन्य अतिचेतना।
ध्यान और आध्यात्मिक विकास के क्षेत्र में परम चेतना एक आकर्षक अवधारणा है। यह सामान्य जागृत चेतना से परे बढ़ी हुई जागरूकता और धरना की स्थिति के संदर्भ करता है। अति चेतना को अक्सर एक ऐसी स्थिति के रूप में वर्णित किया जाता है, जहां ब्रह्मांड से गहराई से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। जहां शून्यता ही दिखाई देता है इस मन को हम तुरीय चेतना भी कहते हैं। इस अवस्था में लोग एकता और गहन शांति की भावना का अनुभव करते हैं। जागरूकता का यह स्तर उन्हें वास्तविकता को अधिक समग्र तरीके से समझने की अनुमति देता ये आकाश तत्व से जुड़ा हुआ है, जब हम सब कुछ जान लेते हैं फिर हम सिर्फ शून्यता प्राप्त करते हैं शाक्षी हो जाते हैं बस देखना न की कुछ करना बस देखन शरीर अलग मन अलग आप अलग सब अलग अलग होकर भी आकाश में सब समा जाता है। सामान्य चेतना के विपरीत, जो हमारी संवेदी धारणाओं और विचारों द्वारा सीमित होती है, सुपर चेतना इन सीमाओं को पार करती है। यह समझ और अंतर्दृष्टि का एक नया आयाम खोलती है।
मन शरीर संबंध।
हमारा मन और शरीर आपस में बहुत करीब से जुड़े हुए हैं। हमारे विचार और भावना हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, तनाव से सिरदर्द और मांसपेशियां में तनाव हो सकता है। ध्यान और योग जैसे अभ्यास मन-शरीर संबंध को मजबूत करता है। वे विश्राम को बढ़ावा देते हैं और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
मन के विभिन्न हिस्सों को समझना हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। अपने विचारों और भावनाओं के बारे में जागरूक होकर, हम तनाव और चिंता को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और अपने मन के हिसाब से जी सकते हैं। जागृत हों सकते हैं जागने के बाद हम स्वयं के साथ साथ बाहरी कड़ियां और आंतरिक विकाश व परमात्मा को खोजना आसान हो जाता है। Mindfulness और गहरी सांस लेने जैसी सरल प्रथाएं बहुत बड़ा बदलाव ला सकती हैं। वे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां में भी हमें वर्तमान और शांत रहने में मदद कर सकता है। मन एक शक्तिशाली उपकरण है। इसके विभिन्न भागों को समझकर हम इसकी क्षमता का दोहन कर सकते हैं और अधिक स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन जी सकते हैं। हम जागरूकता के साथ मन के सभी भागों को जान सकते हैं और जीवंत होकर करुणा प्रेम के पथ पर चल सकते हैं।
बस हमें जागरूकता और ध्यान का साथ नहीं छोड़ना है, साथ में सभी चीज़ पर संदेह करना होगा यदि जानना है तो, नहीं तो मूर्छा में जीते रहे बस भजन और कीर्तन से कुछ समय मन हल्का होगा। शांति तो जागरूकता और ध्यान से ही आएगा। हमें हिम्मत बढ़ाना होगा ताकि हम सभी जाग सके और जीवंत हो सके। इस पोस्ट लेख के बाद हम 7 चक्र और 7 शरीर के बारे में समझेंगे और जागृत कैसे करें इस पर भी चर्चा होगी जिसे आप सरल और सामान्य तरीके से समझ सकते हैं और जागृत करके खुशहाल जीवन जी सकते हैं, साथ ही जीवन और मृत्यु के बारे में जान सकते हैं। बने रहे हमारे साथ। पढ़ते रहे और आगे भी शेयर करें ताकि और लोग भी सरल तरीके से जाग सके।
धन्यवाद।
रविकेश झा।🙏🏻❤️