मन के विकार साफ कर मनाओ दिवाली।
मन के विकार साफ कर मनाओ दिवाली।
दुश्मन को अपने माफ कर मनाओ दिवाली।।
भय, राग, द्वेष, इर्ष्या, अहंकार छोड़कर।
निर्बल से भी इंसाफ कर मनाओ दिवाली।।
“कश्यप”
मन के विकार साफ कर मनाओ दिवाली।
दुश्मन को अपने माफ कर मनाओ दिवाली।।
भय, राग, द्वेष, इर्ष्या, अहंकार छोड़कर।
निर्बल से भी इंसाफ कर मनाओ दिवाली।।
“कश्यप”