मन के मीत
जीवन के मेरे प्रीत, कैसे निभाऊं रीत,
कुहरो से मैं ढ़का हूँ, जीवन मेरा शीत,
श्मशान में जलती लाशें,धुएं में खड़े लोग,
झूठे सारे रिश्ते हैं, झूठे यहां के सारे योग,
कागज के फूलों में उलझी सारी प्रीत,
दुःख हैं जीवन में यहां,क्या मैं गाउँ गीत,
उजली रात-तिमिर विहान, अंधा जीवन भोग
कितना सुख हैं जीवन में मिला हैं दुःख रोग,
रूठ गयी हैं किस्मत मेरी,भाग्य के तारे टूट गए,
रिश्ते सारे टूट गये,दूर कही अपने कही छुट गए,
दुःख ही दुःख जीवन के भीत, क्या मैं गाउँ गीत,
मेरे मन के मीत रे,अब तू ही बता कैसे गाउँ गीत,
बेदर्दी के दर्द भी ऐसे,खुशियां रोती दर्द पर मेरे,
दुःख भी देख कहती हैं, बेदर्दी कैसे हैं दुःख तेरे,
तोड़ चला सब मोह-माया,छोड़ चला यह झूठी काया,
जीवन ने बहुत भरमाया, अब मुक्त हुआ सारी माया,